سورة الضحى بالهندية
وَالضُّحَىٰ(1) (ऐ रसूल) पहर दिन चढ़े की क़सम |
وَاللَّيْلِ إِذَا سَجَىٰ(2) और रात की जब (चीज़ों को) छुपा ले |
مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلَىٰ(3) कि तुम्हारा परवरदिगार न तुमको छोड़ बैठा और (न तुमसे) नाराज़ हुआ |
وَلَلْآخِرَةُ خَيْرٌ لَّكَ مِنَ الْأُولَىٰ(4) और तुम्हारे वास्ते आख़ेरत दुनिया से यक़ीनी कहीं बेहतर है |
وَلَسَوْفَ يُعْطِيكَ رَبُّكَ فَتَرْضَىٰ(5) और तुम्हारा परवरदिगार अनक़रीब इस क़दर अता करेगा कि तुम ख़ुश हो जाओ |
أَلَمْ يَجِدْكَ يَتِيمًا فَآوَىٰ(6) क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी (ज़रूर दी) |
وَوَجَدَكَ ضَالًّا فَهَدَىٰ(7) और तुमको एहकाम से नावाकिफ़ देखा तो मंज़िले मक़सूद तक पहुँचा दिया |
وَوَجَدَكَ عَائِلًا فَأَغْنَىٰ(8) और तुमको तंगदस्त देखकर ग़नी कर दिया |
فَأَمَّا الْيَتِيمَ فَلَا تَقْهَرْ(9) तो तुम भी यतीम पर सितम न करना |
وَأَمَّا السَّائِلَ فَلَا تَنْهَرْ(10) माँगने वाले को झिड़की न देना |
وَأَمَّا بِنِعْمَةِ رَبِّكَ فَحَدِّثْ(11) और अपने परवरदिगार की नेअमतों का ज़िक्र करते रहना |
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Sunday, December 22, 2024
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