Surah Araf Ayat 1 Tafseer in Hindi
Surah Araf Verse 1 translate in arabic
Ayats from Quran in Hindi
- और (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र
- और ताकि इससे तुम्हारे दिल की ढारस हो और (ये तो ज़ाहिर है कि) मदद
- और जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने हूद को और जो लोग
- और जिसको ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसके बाद उसका कोई सरपरस्त नहीं और
- और ये लोग दोजख़ में (पड़े) चिल्लाया करेगें कि परवरदिगार अब हमको (यहाँ से) निकाल
- ऐसे लोगों का (ज़रूर) कहना मानो जो तुमसे (तबलीख़े रिसालत की) कुछ मज़दूरी नहीं माँगते
- और हम लोग तो उसके निगेहबान हैं ही याक़ूब ने कहा तुम्हारा उसको ले जाना
- (और उसका सिला बेहिश्त के) सदा बहार बाग़ात हैं जिनमें ये लोग दाख़िल होंगे और
- उसमें बस वही दाख़िल होगा जो बड़ा बदबख्त है
- तब मलका (विलक़ीस) बोली ऐ मेरे दरबार के सरदारों तुम मेरे इस मामले में मुझे
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