Surah Fussilat Ayat 50 Tafseer in Hindi
﴿وَلَئِنْ أَذَقْنَاهُ رَحْمَةً مِّنَّا مِن بَعْدِ ضَرَّاءَ مَسَّتْهُ لَيَقُولَنَّ هَٰذَا لِي وَمَا أَظُنُّ السَّاعَةَ قَائِمَةً وَلَئِن رُّجِعْتُ إِلَىٰ رَبِّي إِنَّ لِي عِندَهُ لَلْحُسْنَىٰ ۚ فَلَنُنَبِّئَنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا بِمَا عَمِلُوا وَلَنُذِيقَنَّهُم مِّنْ عَذَابٍ غَلِيظٍ﴾
[ فصلت: 50]
और अगर उसको कोई तकलीफ पहुँच जाने के बाद हम उसको अपनी रहमत का मज़ा चखाएँ तो यक़ीनी कहने लगता है कि ये तो मेरे लिए ही है और मैं नहीं ख़याल करता कि कभी क़यामत बरपा होगी और अगर (क़यामत हो भी और) मैं अपने परवरदिगार की तरफ़ लौटाया भी जाऊँ तो भी मेरे लिए यक़ीनन उसके यहाँ भलाई ही तो है जो आमाल करते रहे हम उनको (क़यामत में) ज़रूर बता देंगें और उनको सख्त अज़ाब का मज़ा चख़ाएगें
Surah Fussilat Hindi18. आयत का भावार्थ यह है कि काफ़िर की यह दशा होती है। उसे अल्लाह के यहाँ जाने का विश्वास नहीं होता। फिर यदि प्रलय का होना मान ले, तो भी इसी कुविचार में मग्न रहता है कि यदि अल्लाह ने मुझे संसार में सुख-सुविधा दी है, तो वहाँ भी अवश्य देगा। और यह नहीं समझता कि यहाँ उसे जो कुछ दिया गया है, वह परीक्षा के लिए दिया गया है। और प्रलय के दिन कर्मों के आधार पर प्रतिकार दिया जाएगा।
Surah Fussilat Verse 50 translate in arabic
ولئن أذقناه رحمة منا من بعد ضراء مسته ليقولن هذا لي وما أظن الساعة قائمة ولئن رجعت إلى ربي إن لي عنده للحسنى فلننبئن الذين كفروا بما عملوا ولنذيقنهم من عذاب غليظ
سورة: فصلت - آية: ( 50 ) - جزء: ( 25 ) - صفحة: ( 482 )Surah Fussilat Ayat 50 meaning in Hindi
और यदि उस तकलीफ़ के बाद, जो उसे पहुँची, हम उसे अपनी दयालुता का आस्वादन करा दें तो वह निश्चय ही कहेंगा, "यह तो मेरा हक़ ही है। मैं तो यह नहीं समझता कि वह, क़ियामत की घड़ी, घटित होगी और यदि मैं अपने रब की ओर लौटाया भी गया तो अवश्य ही उसके पास मेरे लिए अच्छा पारितोषिक होगा।" फिर हम उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, अवश्य बताकर रहेंगे, जो कुछ उन्होंने किया होगा। और हम उन्हें अवश्य ही कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे
Quran Urdu translation
اور اگر تکلیف پہنچنے کے بعد ہم اس کو اپنی رحمت کا مزہ چکھاتے ہیں تو کہتا ہے کہ یہ تو میرا حق تھا اور میں نہیں خیال کرتا کہ قیامت برپا ہو۔ اور اگر (قیامت سچ مچ بھی ہو اور) میں اپنے پروردگار کی طرف لوٹایا بھی جاؤں تو میرے لئے اس کے ہاں بھی خوشحالی ہے۔ پس کافر جو عمل کیا کرتے وہ ہم ان کو ضرور جتائیں گے اور ان کو سخت عذاب کا مزہ چکھائیں گے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(41:50) And if We bestow Our Mercy upon him after hardship, he will surely say: 'This is what I truly deserve, *66 and I do not believe that the Hour (of Resurrection) will ever come to pass; and if I am returned to my Lord, there too I shall enjoy the best.' Surely We shall fully apprise the unbelievers of what they have done, and We shall certainly make them taste a severe chastisement.
And if We let him taste mercy from Us after an adversity meaning
*66) That is 'I have got all this because of my being worthy of it :it is my right that I should receive all this."
phonetic Transliteration
Walain athaqnahu rahmatan minna min baAAdi darraa massathu layaqoolanna hatha lee wama athunnu alssaAAata qaimatan walain rujiAAtu ila rabbee inna lee AAindahu lalhusna falanunabbianna allatheena kafaroo bima AAamiloo walanutheeqannahum min AAathabin ghaleethin
English - Sahih International
And if We let him taste mercy from Us after an adversity which has touched him, he will surely say, "This is [due] to me, and I do not think the Hour will occur; and [even] if I should be returned to my Lord, indeed, for me there will be with Him the best." But We will surely inform those who disbelieved about what they did, and We will surely make them taste a massive punishment.
Quran Bangla tarjuma
বিপদাপদ স্পর্শ করার পর আমি যদি তাকে আমার অনুগ্রহ আস্বাদন করাই, তখন সে বলতে থাকে, এটা যে আমার যোগ্য প্রাপ্য; আমি মনে করি না যে, কেয়ামত সংঘটিত হবে। আমি যদি আমার পালনকর্তার কাছে ফিরে যাই, তবে অবশ্যই তার কাছে আমার জন্য কল্যাণ রয়েছে। অতএব, আমি কাফেরদেরকে তাদের কর্ম সম্পর্কে অবশ্যই অবহিত করব এবং তাদেরকে অবশ্যই আস্বাদন করাব কঠিন শাস্তি।
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Ayats from Quran in Hindi
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