Surah Al Isra Ayat 110 Tafseer in Hindi
﴿قُلِ ادْعُوا اللَّهَ أَوِ ادْعُوا الرَّحْمَٰنَ ۖ أَيًّا مَّا تَدْعُوا فَلَهُ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَىٰ ۚ وَلَا تَجْهَرْ بِصَلَاتِكَ وَلَا تُخَافِتْ بِهَا وَابْتَغِ بَيْنَ ذَٰلِكَ سَبِيلًا﴾
[ الإسراء: 110]
(ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (तुम को एख़तियार है) ख्वाह उसे अल्लाह (कहकर) पुकारो या रहमान कह कर पुकारो (ग़रज़) जिस नाम को भी पुकारो उसके तो सब नाम अच्छे (से अच्छे) हैं और (ऐ रसूल) न तो अपनी नमाज़ बहुत चिल्ला कर पढ़ो न और न बिल्कुल चुपके से बल्कि उसके दरमियान एक औसत तरीका एख्तेयार कर लो
Surah Al-Isra Hindi65. अरब में अल्लाह शब्द प्रचलित था, मगर रह़मान प्रचलित न था। इसलिए, वे इस नाम पर आपत्ति करते थे। यह आयत इसी का उत्तर है। 66. ह़दीस में है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (आरंभिक युग में) मक्का में छिपकर रहते थे। और जब अपने साथियों को ऊँचे स्वर में नमाज़ पढ़ाते थे, तो मुश्रिक उसे सुनकर क़ुरआन को तथा जिसने क़ुरआन उतारा है, और जो उसे लाया है, सब को गालियाँ देते थे। अतः अल्लाह ने अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह आदेश दिया। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4722)
Surah Al Isra Verse 110 translate in arabic
قل ادعوا الله أو ادعوا الرحمن أيا ما تدعوا فله الأسماء الحسنى ولا تجهر بصلاتك ولا تخافت بها وابتغ بين ذلك سبيلا
سورة: الإسراء - آية: ( 110 ) - جزء: ( 15 ) - صفحة: ( 293 )Surah Al Isra Ayat 110 meaning in Hindi
कह दो, "तुम अल्लाह को पुकारो या रहमान को पुकारो या जिस नाम से भी पुकारो, उसके लिए सब अच्छे ही नाम है।" और अपनी नमाज़ न बहुत ऊँची आवाज़ से पढ़ो और न उसे बहुत चुपके से पढ़ो, बल्कि इन दोनों के बीच मध्य मार्ग अपनाओ
Quran Urdu translation
کہہ دو کہ تم (خدا کو) الله (کے نام سے) پکارو یا رحمٰن (کے نام سے) جس نام سے پکارو اس کے سب اچھے نام ہیں۔ اور نماز نہ بلند آواز سے پڑھو اور نہ آہستہ بلکہ اس کے بیچ کا طریقہ اختیار کرو
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(17:110) (O Prophet), say to them, "You may call Him by any name, Allah or Rahman, for it is all the same by whichsoever name you call Him because all His names are most excellent. *123 And do not raise your voice high in your Prayer nor make it very low but adopt the middle way *124 between these two
Say, "Call upon Allah or call upon the Most Merciful. Whichever [name] meaning
*123) This is the answer to another objection of the disbelievers. They said, "We have heard the name Allah for the Creator but where from have you brought the name Rahman ?" This was because the name "Rehman " was not used for Allah and they did not like it.
*124) This instruction was given at Makkah. Ibn 'Abbas relates that when the Holy Prophet or his Companions offered their Prayers, they recited the Qur'an jn a loud voice. At this the disbelievers would raise a hue and cry and often called them names. Therefore, they wen enjoined that they should neither say their Prayers in such a loud voice as might incite the disbelievers nor should they say it in such a low voice that their own Companions might not hear it. This instruction was discontinued under the changed conditions at Al-Madinah. However, if the Muslims thay have to face the same conditions, at any place or at any time, they should observe the same instruction.
phonetic Transliteration
Quli odAAoo Allaha awi odAAoo alrrahmana ayyan ma tadAAoo falahu alasmao alhusna wala tajhar bisalatika wala tukhafit biha waibtaghi bayna thalika sabeelan
English - Sahih International
Say, "Call upon Allah or call upon the Most Merciful. Whichever [name] you call - to Him belong the best names." And do not recite [too] loudly in your prayer or [too] quietly but seek between that an [intermediate] way.
Quran Bangla tarjuma
বলুনঃ আল্লাহ বলে আহবান কর কিংবা রহমান বলে, যে নামেই আহবান কর না কেন, সব সুন্দর নাম তাঁরই। আপনি নিজের নামায আদায়কালে স্বর উচ্চগ্রাসে নিয়ে গিয়ে পড়বেন না এবং নিঃশব্দেও পড়বেন না। এতদুভয়ের মধ্যমপন্থা অবলম্বন করুন।
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