Surah Raad Ayat 14 Tafseer in Hindi
﴿لَهُ دَعْوَةُ الْحَقِّ ۖ وَالَّذِينَ يَدْعُونَ مِن دُونِهِ لَا يَسْتَجِيبُونَ لَهُم بِشَيْءٍ إِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّيْهِ إِلَى الْمَاءِ لِيَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهِ ۚ وَمَا دُعَاءُ الْكَافِرِينَ إِلَّا فِي ضَلَالٍ﴾
[ الرعد: 14]
(मुसीबत के वक्त) उसी का (पुकारना) ठीक पुकारना है और जो लोग उसे छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो उनकी कुछ सुनते तक नहीं मगर जिस तरह कोई शख़्श (बग़ैर उंगलियां मिलाए) अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की तरफ फैलाए ताकि पानी उसके मुँह में पहुँच जाए हालॉकि वह किसी तरह पहुँचने वाला नहीं और (इसी तरह) काफिरों की दुआ गुमराही में (पड़ी बहकी फिरा करती है)
Surah Ar-Rad Hindi
Surah Raad Verse 14 translate in arabic
له دعوة الحق والذين يدعون من دونه لا يستجيبون لهم بشيء إلا كباسط كفيه إلى الماء ليبلغ فاه وما هو ببالغه وما دعاء الكافرين إلا في ضلال
سورة: الرعد - آية: ( 14 ) - جزء: ( 13 ) - صفحة: ( 251 )Surah Raad Ayat 14 meaning in Hindi
उसी के लिए सच्ची पुकार है। उससे हटकर जिनको वे पुकारते है, वे उनकी पुकार का कुछ भी उत्तर नहीं देते। बस यह ऐसा ही होता है जैसे कोई अपने दोनों हाथ पानी की ओर इसलिए फैलाए कि वह उसके मुँह में पहुँच जाए, हालाँकि वह उसतक पहुँचनेवाला नहीं। कुफ़्र करनेवालों की पुकार तो बस भटकने ही के लिए होती है
Quran Urdu translation
سودمند پکارنا تو اسی کا ہے اور جن کو یہ لوگ اس کے سوا پکارتے ہیں وہ ان کی پکار کو کسی طرح قبول نہیں کرتے مگر اس شخص کی طرح جو اپنے دونوں ہاتھ پانی کی طرف پھیلا دے تاکہ (دور ہی سے) اس کے منہ تک آ پہنچے حالانکہ وہ (اس تک کبھی بھی) نہیں آسکتا اور (اسی طرح) کافروں کی پکار بیکار ہے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(13:14) To invoke Him alone is the right thing. *23 As regards the other deities whom they invoke apart from Him, they cannot give any answer to their prayers. It is as if a man were to stretch his hands towards water and ask it to come to his mouth, when it cannot reach his mouth in this way; likewise the prayers of the disbelievers are nothing but aimless efforts.
To Him [alone] is the supplication of truth. And those they call meaning
*23) "To invoke Him alone is the right thing," for AIlah alone has the power and the authority to give help and remove difficulties.
phonetic Transliteration
Lahu daAAwatu alhaqqi waallatheena yadAAoona min doonihi la yastajeeboona lahum bishayin illa kabasiti kaffayhi ila almai liyablugha fahu wama huwa bibalighihi wama duAAao alkafireena illa fee dalalin
English - Sahih International
To Him [alone] is the supplication of truth. And those they call upon besides Him do not respond to them with a thing, except as one who stretches his hands toward water [from afar, calling it] to reach his mouth, but it will not reach it [thus]. And the supplication of the disbelievers is not but in error [i.e. futility].
Quran Bangla tarjuma
সত্যের আহবান একমাত্র তাঁরই এবং তাকে ছাড়া যাদেরকে ডাকে, তারা তাদের কোন কাজে আসে না; ওদের দৃষ্টান্ত সেরূপ, যেমন কেউ দু’ হাত পানির দিকে প্রসারিত করে যাতে পানি তার মুখে পৌঁছে যায়। অথচ পানি কোন সময় পৌঁছাবে না। কাফেরদের যত আহবান তার সবই পথভ্রষ্টতা।
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