Surah Muhammad Ayat 16 Tafseer in Hindi
﴿وَمِنْهُم مَّن يَسْتَمِعُ إِلَيْكَ حَتَّىٰ إِذَا خَرَجُوا مِنْ عِندِكَ قَالُوا لِلَّذِينَ أُوتُوا الْعِلْمَ مَاذَا قَالَ آنِفًا ۚ أُولَٰئِكَ الَّذِينَ طَبَعَ اللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ وَاتَّبَعُوا أَهْوَاءَهُمْ﴾
[ محمد: 16]
और (ऐ रसूल) उनमें से बाज़ ऐसे भी हैं जो तुम्हारी तरफ कान लगाए रहते हैं यहाँ तक कि सब सुना कर जब तुम्हारे पास से निकलते हैं तो जिन लोगों को इल्म (कुरान) दिया गया है उनसे कहते हैं (क्यों भई) अभी उस शख़्श ने क्या कहा था ये वही लोग हैं जिनके दिलों पर ख़ुदा ने (कुफ़्र की) अलामत मुक़र्रर कर दी है और ये अपनी नफसियानी ख्वाहिशों पर चल रहे हैं
Surah Muhammad Hindi5. यह कुछ मुनाफ़िक़ों की दशा का वर्णन है जिनको आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बातें समझ में नहीं आती थीं। क्योंकि वे आप की बातें दिल लगा कर नहीं सुनते थे। तथा आपकी बातों का इस प्रकार उपहास करते थे।
Surah Muhammad Verse 16 translate in arabic
ومنهم من يستمع إليك حتى إذا خرجوا من عندك قالوا للذين أوتوا العلم ماذا قال آنفا أولئك الذين طبع الله على قلوبهم واتبعوا أهواءهم
سورة: محمد - آية: ( 16 ) - جزء: ( 26 ) - صفحة: ( 508 )Surah Muhammad Ayat 16 meaning in Hindi
और उनमें कुछ लोग ऐसे है जो तुम्हारी ओर कान लगाते है, यहाँ तक कि जब वे तुम्हारे पास से निकलते है तो उन लोगों से, जिन्हें ज्ञान प्रदान हुआ है कहते है, "उन्होंने अभी-अभी क्या कहा?" वही वे लोग है जिनके दिलों पर अल्लाह ने ठप्पा लगा दिया है और वे अपनी इच्छाओं के पीछे चले है
Quran Urdu translation
اور ان میں بعض ایسے بھی ہیں جو تمہاری طرف کان لگائے یہاں تک کہ (سب کچھ سنتے ہیں لیکن) جب تمہارے پاس سے نکل کر چلے جاتے ہیں تو جن لوگوں کو علم (دین) دیا گیا ہے ان سے کہتے ہیں کہ (بھلا) انہوں نے ابھی کیا کہا تھا؟ یہی لوگ ہیں جن کے دلوں پر خدا نے مہر لگا رکھی ہے اور وہ اپنی خواہشوں کے پیچھے چل رہے ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(47:16) Among them some give ear to you. But no sooner do they leave your presence than they ask those endowed with knowledge: 'What is it that he said just now?' *25 Such are those whose hearts Allah has sealed and who pursue their lusts. *26
And among them, [O Muhammad], are those who listen to you, until meaning
*25) This is concerning those disbelievers and hypocrites and unbelieving followers of the former Books, who sat in the assemblies of the Holy Prophet, listened to his discourses, or the verses of the Qur'an, but since in their hearts they were averse to the themes presented by him, they would understand nothing in spite of listening to him. Therefore, when they came out, they would ask the Muslims, "What was he saying just now?"
*26) This was the real cause because of which their inner ears had become deaf tothe teachings of the Holy Prophet; they were the slaves of their lusts, and the teachings that the Holy Prophet was presenting fell against their lusts. Therefore ,if ever they sat in the assemblies of the Holy Prophet and listened to him, they would understand nothing.
phonetic Transliteration
Waminhum man yastamiAAu ilayka hatta itha kharajoo min AAindika qaloo lillatheena ootoo alAAilma matha qala anifan olaika allatheena tabaAAa Allahu AAala quloobihim waittabaAAoo ahwaahum
English - Sahih International
And among them, [O Muhammad], are those who listen to you, until when they depart from you, they say to those who were given knowledge, "What has he said just now?" Those are the ones of whom Allah has sealed over their hearts and who have followed their [own] desires.
Quran Bangla tarjuma
তাদের মধ্যে কতক আপনার দিকে কান পাতে, অতঃপর যখন আপনার কাছ থেকে বাইরে যায়, তখন যারা শিক্ষিত, তাদেরকে বলেঃ এইমাত্র তিনি কি বললেন ? এদের অন্তরে আল্লাহ মোহর মেরে দিয়েছেন এবং তারা নিজেদের খেয়াল-খুশীর অনুসরণ করে।
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Ayats from Quran in Hindi
- (ऐ रसूल) तुम को न तो उनके माल हैरत में डाले और न उनकी औलाद
- मगर (हाँ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत
- (और) अपने परवरदिगार (की नेअमत) को देख रहे होंगे
- बेशक जो लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते हैं और नाहक़ पैग़म्बरों को क़त्ल
- क्या लोगों को इस बात से बड़ा ताज्जुब हुआ कि हमने उन्हीं लोगों में से
- और उनमें से बाज़ ऐसे हैं कि तुम्हारी ज़बानों की तरफ कान लगाए रहते हैं
- और तुम अपनी बात छिपकर कहो या खुल्लम खुल्ला वह तो दिल के भेदों तक
- जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है
- और कुफ्फार ईमान वालों से कहने लगे कि हमारे तरीक़े पर चलो और (क़यामत में)
- कि वह लोग हक़ के ज़ाहिर होने के बाद भी तुमसे (ख्वाह माख्वाह) सच्ची बात
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