Surah Yasin Ayat 69 Tafseer in Hindi
﴿وَمَا عَلَّمْنَاهُ الشِّعْرَ وَمَا يَنبَغِي لَهُ ۚ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ وَقُرْآنٌ مُّبِينٌ﴾
[ يس: 69]
और हमने न उस (पैग़म्बर) को शेर की तालीम दी है और न शायरी उसकी शान के लायक़ है ये (किताब) तो बस (निरी) नसीहत और साफ-साफ कुरान है
Surah Ya-Sin Hindi22. मक्का के मूर्तिपूजक नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के संबंध में कई प्रकार की बातें कहते थे जिनमें यह बात भी थी कि आप कवि हैं। अल्लाह ने इस आयत में इसी का खंडन किया है।
Surah Yasin Verse 69 translate in arabic
وما علمناه الشعر وما ينبغي له إن هو إلا ذكر وقرآن مبين
سورة: يس - آية: ( 69 ) - جزء: ( 23 ) - صفحة: ( 444 )Surah Yasin Ayat 69 meaning in Hindi
हमने उस (नबी) को कविता नहीं सिखाई और न वह उसके लिए शोभनीय है। वह तो केवल अनुस्मृति और स्पष्ट क़ुरआन है;
Quran Urdu translation
اور ہم نے ان (پیغمبر) کو شعر گوئی نہیں سکھائی اور نہ وہ ان کو شایاں ہے۔ یہ تو محض نصیحت اور صاف صاف قرآن (پُرازحکمت) ہے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(36:69) We did not teach him (to wit, the Messenger) poetry and it does not behove him. *58 This is none but an Admonition, and a Clear Book
And We did not give Prophet Muhammad, knowledge of poetry, nor is meaning
*58) This is a rejoinder to the disbelievers, who slighted the Holy Prophet and his message by branding him a poet when he preached Tauhid and talked of the Hereafter, life-after-death, and Hell and Heaven. (For further explanation, see Ash-Shu'ara: 224-227 and the E.N.'s thereof).
phonetic Transliteration
Wama AAallamnahu alshshiAAra wama yanbaghee lahu in huwa illa thikrun waquranun mubeenun
English - Sahih International
And We did not give Prophet Muhammad, knowledge of poetry, nor is it befitting for him. It is not but a message and a clear Qur'an
Quran Bangla tarjuma
আমি রসূলকে কবিতা শিক্ষা দেইনি এবং তা তার জন্যে শোভনীয়ও নয়। এটা তো এক উপদেশ ও প্রকাশ্য কোরআন।
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