Surah Ibrahim Ayat 1 Tafseer in Hindi
﴿الر ۚ كِتَابٌ أَنزَلْنَاهُ إِلَيْكَ لِتُخْرِجَ النَّاسَ مِنَ الظُّلُمَاتِ إِلَى النُّورِ بِإِذْنِ رَبِّهِمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْعَزِيزِ الْحَمِيدِ﴾
[ إبراهيم: 1]
अलिफ़ लाम रा ऐ रसूल ये (क़ुरान वह) किताब है जिसकों हमने तुम्हारे पास इसलिए नाज़िल किया है कि तुम लोगों को परवरदिगार के हुक्म से (कुफ्र की) तारीकी से (ईमान की) रौशनी में निकाल लाओ ग़रज़ उसकी राह पर लाओ जो सब पर ग़ालिब और सज़ावार हम्द है
Surah Ibrahim Hindi
Surah Ibrahim Verse 1 translate in arabic
الر كتاب أنـزلناه إليك لتخرج الناس من الظلمات إلى النور بإذن ربهم إلى صراط العزيز الحميد
سورة: إبراهيم - آية: ( 1 ) - جزء: ( 13 ) - صفحة: ( 255 )Surah Ibrahim Ayat 1 meaning in Hindi
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह एक किताब है जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है, ताकि तुम मनुष्यों को अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आओ, उनके रब की अनुमति से प्रभुत्वशाली, प्रशंस्य सत्ता, उस अल्लाह के मार्ग की ओर
Quran Urdu translation
الٓرٰ۔ (یہ) ایک (پُرنور) کتاب (ہے) اس کو ہم نے تم پر اس لیے نازل کیا ہے کہ لوگوں کو اندھیرے سے نکال کر روشنی کی طرف لے جاؤ (یعنی) ان کے پروردگار کے حکم سے غالب اور قابل تعریف (خدا) کے رستے کی طرف
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(14:1) Alif Lam Ra.
Alif, Lam, Ra. [This is] a Book which We have revealed to meaning
phonetic Transliteration
Aliflamra kitabun anzalnahu ilayka litukhrija alnnasa mina alththulumati ila alnnoori biithni rabbihim ila sirati alAAazeezi alhameedi
English - Sahih International
Alif, Lam, Ra. [This is] a Book which We have revealed to you, [O Muhammad], that you might bring mankind out of darknesses into the light by permission of their Lord - to the path of the Exalted in Might, the Praiseworthy -
Quran Bangla tarjuma
আলিফ-লাম-রা; এটি একটি গ্রন্থ, যা আমি আপনার প্রতি নাযিল করেছি-যাতে আপনি মানুষকে অন্ধকার থেকে আলোর দিকে বের করে আনেন-পরাক্রান্ত, প্রশংসার যোগ্য পালনকর্তার নির্দেশে তাঁরই পথের দিকে।
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Ayats from Quran in Hindi
- जब उनमें का एक बड़ा बदबख्त उठ खड़ा हुआ
- तो उनके परवरदिगार ने उनको बरगुज़ीदा करके नेकोकारों से बना दिया
- (और इन्सान शयातीन से) कहेंगे कि तुम ही तो हमारी दाहिनी तरफ से (हमें बहकाने
- और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती
- तो फिरऔन ने उस रसूल की नाफ़रमानी की तो हमने भी (उसकी सज़ा में) उसको
- फिर वह दिल पसन्द ऐश में होगा
- देखो ये लोग अपने परवरदिगार के रूबरू हाज़िर होने से शक़ में (पड़े) हैं सुन
- जिन्होंने अपने (असली) दीन में तफरेक़ा परवाज़ी की और मुख्तलिफ़ फिरके क़े बन गए जो
- और किसी काम की निस्बत न कहा करो कि मै इसको कल करुँगा
- (यही लोग हैं) सब्र करने वाले और सच बोलने वाले और (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार और
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