Surah Fajr Ayat 1 Tafseer in Hindi
Surah Fajr Verse 1 translate in arabic
Ayats from Quran in Hindi
- (मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा)
- (ऐ रसूल उन पैग़म्बरों के साथ झगड़ने वाले) गिरोहों में से यहाँ तुम्हारे मुक़ाबले में
- और तुम्हें क्या हो गया है कि ख़ुदा पर ईमान नहीं लाते हो हालॉकि रसूल
- और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया
- और तुम उसके लाने में (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल तुम उनसे)
- ऐ ईमानदारों जब तुम किसी फौज से मुठभेड़ करो तो ख़बरदार अपने क़दम जमाए रहो
- (ऐ रसूल) तुम उनसे कह दो कि तुम लोगों के वास्ते एक ख़ास दिन की
- तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते
- उनमें (जो) पुरज़ोर और दरूस्त बातें लिखी हुई हैं (सुनाये)
- और हमने ही यक़ीनन सारे आसमान और ज़मीन और जो कुछ उन दोनों के बीच
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