Surah Mursalat Ayat 2 Tafseer in Hindi
﴿فَالْعَاصِفَاتِ عَصْفًا﴾
[ المرسلات: 2]
फिर ज़ोर पकड़ के ऑंधी हो जाती हैं
Surah Al-Mursalat Hindi
Surah Mursalat Verse 2 translate in arabic
Surah Mursalat Ayat 2 meaning in Hindi
फिर ख़ूब तेज़ हो जाती है,
Quran Urdu translation
پھر زور پکڑ کر جھکڑ ہو جاتی ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(77:2) which then blow tempestuously
And the winds that blow violently meaning
Ayats from Quran in Hindi
- (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ख़ुदा को दोस्त रखते हो
- मगर इन्शा अल्लाह कह कर और अगर (इन्शा अल्लाह कहना) भूल जाओ तो (जब याद
- मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होने उसे झुठलाया तो वह लोग
- क्या तुम लोगों ने हाजियों की सक़ाई (पानी पिलाने वाले) और मस्जिदुल हराम (ख़ानाए काबा
- और जब उन लोगों ने अपने अपने असबाब खोले तो अपनी अपनी पूंजी को देखा
- और जिस शख़्श को उसके परवरदिगार की आयतें याद दिलायी जाएँ और वह उनसे मुँह
- (ऐ रसूल) तुमसे लोग क़यामत के बारे में पूछा करते हैं कि कहीं उसका कोई
- तो ख़ुदा और उसका रसूल कहीं ज्यादा हक़दार है कि उसको राज़ी रखें क्या ये
- हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं
- ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं कि
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