Surah Mursalat Ayat 2 Tafseer in Hindi
﴿فَالْعَاصِفَاتِ عَصْفًا﴾
[ المرسلات: 2]
फिर ज़ोर पकड़ के ऑंधी हो जाती हैं
Surah Al-Mursalat Hindi
Surah Mursalat Verse 2 translate in arabic
Surah Mursalat Ayat 2 meaning in Hindi
फिर ख़ूब तेज़ हो जाती है,
Quran Urdu translation
پھر زور پکڑ کر جھکڑ ہو جاتی ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(77:2) which then blow tempestuously
And the winds that blow violently meaning
Ayats from Quran in Hindi
- और बेशक तुम्हारे एख़लाक़ बड़े आला दर्जे के हैं
- और वहां रेशा (बाल) बराबर भी तुम लोगों पर जुल्म नहीं किया जाएगा तुम चाहे
- और हमने यक़ीनन मूसा को खुले हुए नौ मौजिज़े अता किए तो (ऐ रसूल) बनी
- जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच में से निकलता है
- वह वही (खुदाए क़ादिर तवाना) है जिसने तुम्हारे नफा के वास्ते रात को बनाया ताकि
- सारे आसमान व ज़मीन की कुन्जियाँ उसके पास हैं जिसके लिए चाहता है रोज़ी को
- और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह
- (इस बात की क़सम) कि कोई शख़्श ऐसा नहीं जिस पर निगेहबान मुक़र्रर नहीं
- और इबराहीम ने (अपनी क़ौम से) कहा कि तुम लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर बुतो
- और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे और हमने उन पर साये
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