Surah Rum Ayat 28 Tafseer in Hindi
﴿ضَرَبَ لَكُم مَّثَلًا مِّنْ أَنفُسِكُمْ ۖ هَل لَّكُم مِّن مَّا مَلَكَتْ أَيْمَانُكُم مِّن شُرَكَاءَ فِي مَا رَزَقْنَاكُمْ فَأَنتُمْ فِيهِ سَوَاءٌ تَخَافُونَهُمْ كَخِيفَتِكُمْ أَنفُسَكُمْ ۚ كَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ الْآيَاتِ لِقَوْمٍ يَعْقِلُونَ﴾
[ الروم: 28]
और हमने (तुम्हारे समझाने के वास्ते) तुम्हारी ही एक मिसाल बयान की है हमने जो कुछ तुम्हे अता किया है क्या उसमें तुम्हारी लौन्डी गुलामों में से कोई (भी) तुम्हारा शरीक है कि (वह और) तुम उसमें बराबर हो जाओ (और क्या) तुम उनसे ऐसा ही ख़ौफ रखते हो जितना तुम्हें अपने लोगों का (हक़ हिस्सा न देने में) ख़ौफ होता है फिर बन्दों को खुदा का शरीक क्यों बनाते हो) अक्ल मन्दों के वास्ते हम यूँ अपनी आयतों को तफसीलदार बयान करते हैं
Surah Ar-Rum Hindi9. परलोक और एकेश्वरवाद के तर्कों का वर्णन करने के पश्चात् इस आयत में शुद्ध एकेश्वरवाद के प्रमाण प्रस्तुत किए जा रहे हैं कि जब तुम स्वयं अपने दासों को अपनी जीविका में साझी नहीं बना सकते, तो जिस अल्लाह ने सबको बनाया है उसकी उपासना में दूसरों को कैसे साझी बनाते हो?
Surah Rum Verse 28 translate in arabic
ضرب لكم مثلا من أنفسكم هل لكم من ما ملكت أيمانكم من شركاء في ما رزقناكم فأنتم فيه سواء تخافونهم كخيفتكم أنفسكم كذلك نفصل الآيات لقوم يعقلون
سورة: الروم - آية: ( 28 ) - جزء: ( 21 ) - صفحة: ( 407 )Surah Rum Ayat 28 meaning in Hindi
उसने तुम्हारे लिए स्वयं तुम्हीं में से एक मिसाल पेश की है। क्या जो रोज़ी हमने तुम्हें दी है, उसमें तुम्हारे अधीनस्थों में से, कुछ तुम्हारे साझीदार है कि तुम सब उसमें बराबर के हो, तुम उनका ऐसा डर रखते हो जैसा अपने लोगों का डर रखते हो? - इसप्रकार हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर प्रस्तुत करते है जो बुद्धि से काम लेते है। -
Quran Urdu translation
وہ تمہارے لئے تمہارے ہی حال کی ایک مثال بیان فرماتا ہے کہ بھلا جن (لونڈی غلاموں) کے تم مالک ہو وہ اس (مال) میں جو ہم نے تم کو عطا فرمایا ہے تمہارے شریک ہیں، اور (کیا) تم اس میں (اُن کو اپنے) برابر (مالک سمجھتے) ہو (اور کیا) تم اُن سے اس طرح ڈرتے ہو جس طرح اپنوں سے ڈرتے ہو، اسی طرح عقل والوں کے لئے اپنی آیتیں کھول کھول کر بیان کرتے ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(30:28) He sets forth *39 for you a parable from your own lives. Do you have among your slaves some who share with you the sustenance that We have bestowed on you so that you become equals in it, all being alike, and then you would hold them in fear as you fear each other? *40 Thus do We make plain the Signs for those who use reason.
He presents to you an example from yourselves. Do you have among meaning
*39) In the forgoing section, arguments have been given both for Tauhid and for the Hereafter; now the discourse turns to only Tauhid.
*40) The mushriks, even after admitting that Allah is the Creator and Master of the earth and heavens and all that they contain, held some of His creatures as associates in His attributes and powers, and prayed to them, presented offerings and performed rites of worship before them. Their belief regarding their self-made associates is found in the words of the Talbih that they used to pronounce while going round the Ka'bah. They said: "Here I am, O Allah, here I am in Thy presence! Thou hast no partner except the partner who is Thy own. Thou art his owner as well as owner of what he owns." (Tabarani on the authority Ibn 'Abbas) AIlah has refuted this kind of shirk in this verse. The argument is to this effect: "When you do not make your own slaves partners in your wealth, how do you think and believe that Allah will make His creatures partners in His Godhead?" (For further details, see E.N. 62 of An-Nahl).
phonetic Transliteration
Daraba lakum mathalan min anfusikum hal lakum mi mma malakat aymanukum min shurakaa fee ma razaqnakum faantum feehi sawaon takhafoonahum kakheefatikum anfusakum kathalika nufassilu alayati liqawmin yaAAqiloona
English - Sahih International
He presents to you an example from yourselves. Do you have among those whom your right hands possess any partners in what We have provided for you so that you are equal therein [and] would fear them as your fear of one another [within a partnership]? Thus do We detail the verses for a people who use reason.
Quran Bangla tarjuma
আল্লাহ তোমাদের জন্যে তোমাদেরই মধ্য থেকে একটি দৃষ্টান্ত বর্ণনা করেছেনঃ তোমাদের আমি যে রুযী দিয়েছি, তোমাদের অধিকারভুক্ত দাস-দাসীরা কি তাতে তোমাদের সমান সমান অংশীদার? তোমরা কি তাদেরকে সেরূপ ভয় কর, যেরূপ নিজেদের লোককে ভয় কর? এমনিভাবে আমি সমঝদার সম্প্রদায়ের জন্যে নিদর্শনাবলী বিস্তারিত বর্ণনা করি।
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