Surah Anbiya Ayat 87 Tafseer in Hindi
﴿وَذَا النُّونِ إِذ ذَّهَبَ مُغَاضِبًا فَظَنَّ أَن لَّن نَّقْدِرَ عَلَيْهِ فَنَادَىٰ فِي الظُّلُمَاتِ أَن لَّا إِلَٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ﴾
[ الأنبياء: 87]
और जुन्नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अंधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ
Surah Al-Anbiya Hindi34. इससे अभिप्रेत यूनुस अलैहिस्सलाम हैं। उनको ज़ुन्नून और साह़िबुल ह़ूत कहा गया है। अर्थात मछली वाला। क्योंकि उनको अल्लाह के आदेश से एक मछली ने निगल लिया था। इसका कुछ वर्णन सूरत यूनुस में आ चुका है। और कुछ सूरतुस-साफ़्फ़ात में आ रहा है। 35. अर्थात अपनी जाति से क्रोधित होकर अल्लाह के अनुमति के बिना अपनी बस्ती से चले गए। इसी पर उन्हें पकड़ लिया गया। 36. सह़ीह़ ह़दीस में आता है कि जो भी मुसलमान इस शब्द के साथ किसी विषय में दुआ करेगा तो अल्लाह उसकी दुआ को स्वीकार करेगा। (तिर्मिज़ी : 3505)
Surah Anbiya Verse 87 translate in arabic
وذا النون إذ ذهب مغاضبا فظن أن لن نقدر عليه فنادى في الظلمات أن لا إله إلا أنت سبحانك إني كنت من الظالمين
سورة: الأنبياء - آية: ( 87 ) - جزء: ( 17 ) - صفحة: ( 329 )Surah Anbiya Ayat 87 meaning in Hindi
और ज़ुन्नून (मछलीवाले) पर भी दया दर्शाई। याद करो जबकि वह अत्यन्त क्रद्ध होकर चल दिया और समझा कि हम उसे तंगी में न डालेंगे। अन्त में उसनें अँधेरों में पुकारा, "तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं, महिमावान है तू! निस्संदेह मैं दोषी हूँ।"
Quran Urdu translation
اور ذوالنون (کو یاد کرو) جب وہ (اپنی قوم سے ناراض ہو کر) غصے کی حالت میں چل دیئے اور خیال کیا کہ ہم ان پر قابو نہیں پاسکیں گے۔ آخر اندھیرے میں (خدا کو) پکارنے لگے کہ تیرے سوا کوئی معبود نہیں۔ تو پاک ہے (اور) بےشک میں قصوروار ہوں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(21:87) And We showed a favour to Zun-nun *82 Remember when he went away in anger *83 for he thought that We would not take him to task for this. *84 But afterwards he invoked Us from the depths of darkness, *85 saying, "There is no God but Thou: glory be to Thee: I had indeed committed a wrong".
And [mention] the man of the fish, when he went off in meaning
*82) That is, Jonah. Literally Zun-Nun means `the man of the fish". He was called so because he was devoured by a fish by the Command of AIIah. (Also See XXXV11:142 and X:98 and its E.N.'s 98-100).
*83) Prophet Jonah left his people before he received Allah's Command for migration.
*84) He presumed that he should leave, the place which was going to be visited by the scourge of Allah. This was not by itself an offence but it was an offence for a Prophet to leave the place of his Mission without the permission of Allah.
*85) "....darkness": the darkness in the belly of the fish and the darkness of the sea over and above it.
phonetic Transliteration
Watha alnnooni ith thahaba mughadiban fathanna an lan naqdira AAalayhi fanada fee alththulumati an la ilaha illa anta subhanaka innee kuntu mina alththalimeena
English - Sahih International
And [mention] the man of the fish, when he went off in anger and thought that We would not decree [anything] upon him. And he called out within the darknesses, "There is no deity except You; exalted are You. Indeed, I have been of the wrongdoers."
Quran Bangla tarjuma
এবং মাছওয়ালার কথা স্মরণ করুন তিনি ক্রুদ্ধ হয়ে চলে গিয়েছিলেন, অতঃপর মনে করেছিলেন যে, আমি তাঁকে ধৃত করতে পারব না। অতঃপর তিনি অন্ধকারের মধ্যে আহবান করলেনঃ তুমি ব্যতীত কোন উপাস্য নেই; তুমি নির্দোষ আমি গুনাহগার।
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