Surah Shams Ayat 15 Tafseer in Hindi
﴿وَلَا يَخَافُ عُقْبَاهَا﴾
[ الشمس: 15]
और उसको उनके बदले का कोई ख़ौफ तो है नहीं
Surah Ash-Shams Hindi4. (11-15) इन आयतों में समूद जाति का ऐतिहासिक उदाहरण देकर दूतत्व (रिसालत) का महत्व समझाया गया है कि नबी इस लिए भेजा जाता है कि भलाई और बुराई का जो स्वभाविक ज्ञान अल्लाह ने इनसान के स्वभाव में रख दिया है उसे उभारने में उसकी सहायता करे। ऐसे ही एक नबी जिन का नाम सालेह था समूद की जाति की ओर भेजे गए। परंतु उन्होंने उनको नहीं माना, तो वे ध्वस्त कर दिए गए। उस समय मक्का के मूर्ति पूजकों की स्थिति समूद जाति से मिलती जुलती थी। इसलिए उनको सालेह नबी की कथा सुनाकर सचेत किया जा रहा है कि सावधान! कहीं तुम लोग भी समूद की तरह यातना में न घिर जाओ। वह तो हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इस प्रार्थना के कारण बच गए कि ऐ अल्लाह! इन्हें नष्ट न कर। क्योंकि इन्हीं में से ऐसे लोग उठेंगे जो तेरे धर्म का प्रचार करेंगे। इसलिए कि अल्लाह ने आप सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम को सारे संसारों के लिए दया बना कर भेजा था।
Surah Shams Verse 15 translate in arabic
Surah Shams Ayat 15 meaning in Hindi
और उसे उसके परिणाम का कोई भय नहीं
Quran Urdu translation
اور اس کو ان کے بدلہ لینے کا کچھ بھی ڈر نہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(91:15) He has no fear of its sequel. *11
And He does not fear the consequence thereof. meaning
*11) That is, Allah is not like the kings of the world and the rulers of governments, who, when they want to take some action against a people, are compelled to consider what will be the consequences of their action. Allah's power is supreme. He had no apprehension that some supporting power of the Thamud would come out to avenge itself on Him.
Ayats from Quran in Hindi
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