Surah Anfal Ayat 74 Tafseer in Hindi
﴿وَالَّذِينَ آمَنُوا وَهَاجَرُوا وَجَاهَدُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَالَّذِينَ آوَوا وَّنَصَرُوا أُولَٰئِكَ هُمُ الْمُؤْمِنُونَ حَقًّا ۚ لَّهُم مَّغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ﴾
[ الأنفال: 74]
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और ख़ुदा की राह में लड़े भिड़े और जिन लोगों ने (ऐसे नाज़ुक वक्त में मुहाजिरीन को जगह ही और उनकी हर तरह ख़बरगीरी (मदद) की यही लोग सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के वास्ते मग़फिरत और इज्ज़त व आबरु वाली रोज़ी है
Surah Al-Anfal Hindi
Surah Anfal Verse 74 translate in arabic
والذين آمنوا وهاجروا وجاهدوا في سبيل الله والذين آووا ونصروا أولئك هم المؤمنون حقا لهم مغفرة ورزق كريم
سورة: الأنفال - آية: ( 74 ) - جزء: ( 10 ) - صفحة: ( 186 )Surah Anfal Ayat 74 meaning in Hindi
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की वही सच्चे मोमिन हैं। उनके क्षमा और सम्मानित - उत्तम आजीविका है
Quran Urdu translation
اور جو لوگ ایمان لائے اور وطن سے ہجرت کر گئے اور خدا کی راہ میں لڑائیاں کرتے رہے اور جنہوں نے (ہجرت کرنے والوں کو) جگہ دی اور ان کی مدد کی۔ یہی لوگ سچے مسلمان ہیں۔ ان کے لیے (خدا کے ہاں) بخشش اور عزت کی روزی ہے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(8:74) Those who believe and have migrated and strove in the way of Allah, and those who gave them refuge and help - it is they who are the true believers. Theirs shall be forgiveness and honourable sustenance.
But those who have believed and emigrated and fought in the cause meaning
phonetic Transliteration
Waallatheena amanoo wahajaroo wajahadoo fee sabeeli Allahi waallatheena awaw wanasaroo olaika humu almuminoona haqqan lahum maghfiratun warizqun kareemun
English - Sahih International
But those who have believed and emigrated and fought in the cause of Allah and those who gave shelter and aided - it is they who are the believers, truly. For them is forgiveness and noble provision.
Quran Bangla tarjuma
আর যারা ঈমান এনেছে, নিজেদের ঘর-বাড়ী ছেড়েছে এবং আল্লাহর রাহে জেহাদ করেছে এবং যারা তাদেরকে আশ্রয় দিয়েছে, সাহায্য-সহায়তা করেছে, তাঁরা হলো সত্যিকার মুসলমান। তাঁদের জন্যে রয়েছে, ক্ষমা ও সম্মানজনক রুযী।
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