Surah Muminun Ayat 109 Tafseer in Hindi
﴿إِنَّهُ كَانَ فَرِيقٌ مِّنْ عِبَادِي يَقُولُونَ رَبَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَأَنتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ﴾
[ المؤمنون: 109]
मेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है
Surah Al-Muminun Hindi
Surah Muminun Verse 109 translate in arabic
إنه كان فريق من عبادي يقولون ربنا آمنا فاغفر لنا وارحمنا وأنت خير الراحمين
سورة: المؤمنون - آية: ( 109 ) - جزء: ( 18 ) - صفحة: ( 349 )Surah Muminun Ayat 109 meaning in Hindi
मेरे बन्दों में कुछ लोग थे, जो कहते थे, हमारे रब! हम ईमान ले आए। अतः तू हमें क्षमा कर दे और हमपर दया कर। तू सबसे अच्छा दया करनेवाला है
Quran Urdu translation
میرے بندوں میں ایک گروہ تھا جو دعا کیا کرتا تھا کہ اے ہمارے پروردگار ہم ایمان لائے تو تُو ہم کو بخش دے اور ہم پر رحم کر اور تو سب سے بہتر رحم کرنے والا ہے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(23:109) For, you are the very same people, who made fun of some of Our servants when they prayed to Us, `Our Lord, we have believed: so forgive us and have mercy, on us, for You are the Most Merciful of alI who show mercy?
Indeed, there was a party of My servants who said, 'Our Lord, meaning
phonetic Transliteration
Innahu kana fareequn min AAibadee yaqooloona rabbana amanna faighfir lana wairhamna waanta khayru alrrahimeena
English - Sahih International
Indeed, there was a party of My servants who said, 'Our Lord, we have believed, so forgive us and have mercy upon us, and You are the best of the merciful.'
Quran Bangla tarjuma
আমার বান্দাদের একদলে বলতঃ হে আমাদের পালনকর্তা! আমরা বিশ্বাস স্থাপন করেছি। অতএব তুমি আমাদেরকে ক্ষমা কর ও আমাদের প্রতি রহম কর। তুমি তো দয়ালুদের মধ্যে শ্রেষ্ঠ দয়ালু।
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Ayats from Quran in Hindi
- और उसी में से (और) उसी में से फिर दोबारा तुम ज़िन्दा करके निकाले जाओगे
- और जिस औरत ज़ुलेखा के घर में यूसुफ रहते थे उसने अपने (नाजायज़) मतलब हासिल
- (ऐ रसूल) लोग तुमसे क़यामत के बारे में पूछा करते हैं (तुम उनसे) कह दो
- जिसने उससे मुँह फेरा वह क़यामत के दिन यक़ीनन (अपने बुरे आमाल का) बोझ उठाएगा
- जिनमें तुम (अपने मवेशियों को) चराते हो इसी पानी से तुम्हारे वास्ते खेती और जैतून
- तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
- (जब) हमारी आयतें तुम्हारे सामने पढ़ी जाती थीं तो तुम अकड़ते किस्सा कहते बकते हुए
- (ऐ रसूल इन लोगों से) कहो कि भला तुमने देखा कि अगर ख़ुदा हमेशा के
- और फिरऔन के साथ (क्या किया) जो (सज़ा के लिए) मेख़े रखता था
- और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद
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