Surah Muhammad Ayat 33 Tafseer in Hindi
﴿۞ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ وَلَا تُبْطِلُوا أَعْمَالَكُمْ﴾
[ محمد: 33]
ऐ ईमानदारों ख़ुदा का हुक्म मानों और रसूल की फरमाँबरदारी करो और अपने आमाल को ज़ाया न करो
Surah Muhammad Hindi12. इस आयत में कहा गया है कि जिस प्रकार क़ुरआन को मानना अनिवार्य है, उसी प्रकार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत (ह़दीसों) का पालन करना भी अनिवार्य है। ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मेरी उम्मत स्वर्ग में जाएगी सिवा उस व्यक्ति के जिसने इनकार किया। कहा गया कि कौन इनकार करेगा, ऐ अल्लाह के रसूल!? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : जिसने मेरी आज्ञा का पालन किया, वह स्वर्ग में जाएगा। और जिसने मेरी अवज्ञा की, तो निश्चय उसने इनकार किया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 7280)
Surah Muhammad Verse 33 translate in arabic
ياأيها الذين آمنوا أطيعوا الله وأطيعوا الرسول ولا تبطلوا أعمالكم
سورة: محمد - آية: ( 33 ) - جزء: ( 26 ) - صفحة: ( 510 )Surah Muhammad Ayat 33 meaning in Hindi
ऐ ईमान लानेवालों! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और अपने कर्मों को विनष्ट न करो
Quran Urdu translation
مومنو! خدا کا ارشاد مانو اور پیغمبر کی فرمانبرداری کرو اور اپنے عملوں کو ضائع نہ ہونے دو
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(47:33) Believers, obey Allah and obey the Messenger and do not cause your works to be nullified. *40
O you who have believed, obey Allah and obey the Messenger and meaning
*40) In other words, the deeds' being beneficial and yielding of good results depends wholly on one's obedience to Allah and His Messenger. After one has turned away from obedience, no deed remains a good deed so that one may deserve any reward for it.
phonetic Transliteration
Ya ayyuha allatheena amanoo ateeAAoo Allaha waateeAAoo alrrasoola wala tubtiloo aAAmalakum
English - Sahih International
O you who have believed, obey Allah and obey the Messenger and do not invalidate your deeds.
Quran Bangla tarjuma
হে মুমিনগণ! তোমরা আল্লাহর আনুগত্য কর, রসূলের (সাঃ) আনুগত্য কর এবং নিজেদের কর্ম বিনষ্ট করো না।
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Ayats from Quran in Hindi
- तो तुम अच्छी तरह इन तक़लीफों को बरदाश्त करते रहो
- कोई उम्मत अपने वक्त मुर्करर से न आगे बढ़ सकती है न (उससे) पीछे हट
- और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है
- तो (अब) हमारे और तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी है हम को
- फरिश्तों ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं
- और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है
- इसका वायदा तो हमसे और हमसे पहले हमारे बाप दादाओं से भी (बार हा) किया
- और हमको जब किसी बस्ती का वीरान करना मंज़ूर होता है तो हम वहाँ के
- (और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की)
- (और यही दीन ईसा लेकर आए थे) फिर (काफिरों के) फ़िरकों ने बहम एख़तेलाफ किया
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