Surah An Nur Ayat 37 Tafseer in Hindi
﴿رِجَالٌ لَّا تُلْهِيهِمْ تِجَارَةٌ وَلَا بَيْعٌ عَن ذِكْرِ اللَّهِ وَإِقَامِ الصَّلَاةِ وَإِيتَاءِ الزَّكَاةِ ۙ يَخَافُونَ يَوْمًا تَتَقَلَّبُ فِيهِ الْقُلُوبُ وَالْأَبْصَارُ﴾
[ النور: 37]
ऐसे लोग जिनको ख़ुदा के ज़िक्र और नमाज़ पढ़ने और ज़कात अदा करने से न तो तिजारत ही ग़ाफिल कर सकती है न (ख़रीद फरोख्त) (का मामला क्योंकि) वह लोग उस दिन से डरते हैं जिसमें ख़ौफ के मारे दिल और ऑंखें उलट जाएँगी
Surah An-Nur Hindi33. अर्थात प्रलय के दिन।
Surah An Nur Verse 37 translate in arabic
رجال لا تلهيهم تجارة ولا بيع عن ذكر الله وإقام الصلاة وإيتاء الزكاة يخافون يوما تتقلب فيه القلوب والأبصار
سورة: النور - آية: ( 37 ) - جزء: ( 18 ) - صفحة: ( 355 )Surah An Nur Ayat 37 meaning in Hindi
उनमें ऐसे लोग प्रभात काल और संध्या समय उसकी तसबीह करते है जिन्हें अल्लाह की याद और नमाज क़ायम करने और ज़कात देने से न तो व्यापार ग़ाफ़िल करता है और न क्रय-विक्रय। वे उस दिन से डरते रहते है जिसमें दिल और आँखें विकल हो जाएँगी
Quran Urdu translation
(یعنی ایسے) لوگ جن کو خدا کے ذکر اور نماز پڑھنے اور زکوٰة دینے سے نہ سوداگری غافل کرتی ہے نہ خرید وفروخت۔ وہ اس دن سے جب دل (خوف اور گھبراہٹ کے سبب) الٹ جائیں گے اور آنکھیں (اوپر کو چڑھ جائیں گی) ڈرتے ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(24:37) as are not diverted by trade and merchandise from remembering Him and from establishing Salat and paying Zakat, for they fear the Day when the hearts will be overturned and the eyes will become petrified.
[Are] men whom neither commerce nor sale distracts from the remembrance of meaning
phonetic Transliteration
Rijalun la tulheehim tijaratun wala bayAAun AAan thikri Allahi waiqami alssalati waeetai alzzakati yakhafoona yawman tataqallabu feehi alquloobu waalabsaru
English - Sahih International
[Are] men whom neither commerce nor sale distracts from the remembrance of Allah and performance of prayer and giving of zakah. They fear a Day in which the hearts and eyes will [fearfully] turn about -
Quran Bangla tarjuma
এমন লোকেরা, যাদেরকে ব্যবসা-বাণিজ্য ও ক্রয়-বিক্রয় আল্লাহর স্মরণ থেকে, নামায কায়েম করা থেকে এবং যাকাত প্রদান করা থেকে বিরত রাখে না। তারা ভয় করে সেই দিনকে, যেদিন অন্তর ও দৃষ্টিসমূহ উল্টে যাবে।
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