Surah Furqan Ayat 4 Tafseer in Hindi
﴿وَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِنْ هَٰذَا إِلَّا إِفْكٌ افْتَرَاهُ وَأَعَانَهُ عَلَيْهِ قَوْمٌ آخَرُونَ ۖ فَقَدْ جَاءُوا ظُلْمًا وَزُورًا﴾
[ الفرقان: 4]
और जो लोग काफिर हो गए बोल उठे कि ये (क़ुरान) तो निरा झूठ है जिसे उस शख्स (रसूल) ने अपने जी से गढ़ लिया और कुछ और लोगों ने इस इफतिरा परवाज़ी में उसकी मदद भी की है
Surah Al-Furqan Hindi3. अर्थात क़ुरआन। 4. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने।
Surah Furqan Verse 4 translate in arabic
وقال الذين كفروا إن هذا إلا إفك افتراه وأعانه عليه قوم آخرون فقد جاءوا ظلما وزورا
سورة: الفرقان - آية: ( 4 ) - جزء: ( 18 ) - صفحة: ( 360 )Surah Furqan Ayat 4 meaning in Hindi
जिन लोगों ने इनकार किया उनका कहना है, "यह तो बस मनघड़ंत है जो उसने स्वयं ही घड़ लिया है। और कुछ दूसरे लोगों ने इस काम में उसकी सहायता की है।" वे तो ज़ुल्म और झूठ ही के ध्येय से आए
Quran Urdu translation
اور کافر کہتے ہیں کہ یہ (قرآن) من گھڑت باتیں ہی جو اس (مدعی رسالت) نے بنالی ہیں۔ اور لوگوں نے اس میں اس کی مدد کی ہے۔ یہ لوگ (ایسا کہنے سے) ظلم اور جھوٹ پر (اُتر) آئے ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(25:4) Those who have rejected the Message of the Prophet, say, "This (A1-Furgan) is a forgery which this man himself has devised, and some others have helped him at it. " What a cruel injustice *11 and an impudent lie!
And those who disbelieve say, "This [Qur'an] is not except a falsehood meaning
*11) Another translation may be: "a great injustice."
phonetic Transliteration
Waqala allatheena kafaroo in hatha illa ifkun iftarahu waaAAanahu AAalayhi qawmun akharoona faqad jaoo thulman wazooran
English - Sahih International
And those who disbelieve say, "This [Qur'an] is not except a falsehood he invented, and another people assisted him in it." But they have committed an injustice and a lie.
Quran Bangla tarjuma
কাফেররা বলে, এটা মিথ্যা বৈ নয়, যা তিনি উদ্ভাবন করেছেন এবং অন্য লোকেরা তাঁকে সাহায্য করেছে। অবশ্যই তারা অবিচার ও মিথ্যার আশ্রয় নিয়েছে।
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Ayats from Quran in Hindi
- अब ख़ुदा ने तुम से (अपने हुक्म की सख्ती में) तख्फ़ीफ (कमी) कर दी और
- तुम कैसे हुक्म लगाते हो और उनमें के अक्सर तो बस अपने गुमान पर चलते
- और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया
- और ये लोग (दूसरों को भी) उस के (सुनने से) से रोकते हैं और ख़ुद
- (ज़बरदस्ती) उसे घूँट घँट करके पीना पड़ेगा और उसे हलक़ से आसानी से न उतार
- जो लोग अपने माल ख़ुदा की राह में ख़र्च करते हैं और फिर ख़र्च करने
- फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं
- और समूद के साथ (क्या किया) जो वादी (क़रा) में पत्थर तराश कर घर बनाते
- और मूसा ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले तूने फिरऔन और उसके सरदारों को
- और इसके क़ब्ल मूसा की किताब पेशवा और (सरासर) रहमत थी और ये (क़ुरान) वह
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