Surah Naml Ayat 32 Tafseer in Hindi
﴿قَالَتْ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ أَفْتُونِي فِي أَمْرِي مَا كُنتُ قَاطِعَةً أَمْرًا حَتَّىٰ تَشْهَدُونِ﴾
[ النمل: 32]
तब मलका (विलक़ीस) बोली ऐ मेरे दरबार के सरदारों तुम मेरे इस मामले में मुझे राय दो (क्योंकि मेरा तो ये क़ायदा है कि) जब तक तुम लोग मेरे सामने मौजूद न हो (मशवरा न दे दो) मैं किसी अम्र में क़तई फैसला न किया करती
Surah An-Naml Hindi
Surah Naml Verse 32 translate in arabic
قالت ياأيها الملأ أفتوني في أمري ما كنت قاطعة أمرا حتى تشهدون
سورة: النمل - آية: ( 32 ) - جزء: ( 19 ) - صفحة: ( 379 )Surah Naml Ayat 32 meaning in Hindi
उसने कहा, "ऐ सरदारों! मेरे मामलें में मुझे परामर्श दो। मैं किसी मामले का फ़ैसला नहीं करती, जब तक कि तुम मेरे पास मौजूद न हो।"
Quran Urdu translation
(خط سنا کر) وہ کہنے لگی کہ اے اہل دربار میرے اس معاملے میں مجھے مشورہ دو، جب تک تم حاضر نہ ہو (اور صلاح نہ دو) میں کسی کام کو فیصل کرنے والی نہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(27:32) (Having read out the letter) the queen said, "O chiefs, counsel me in this matter; I do not take a decision in any matter without (consulting) you." *38
She said, "O eminent ones, advise me in my affair. I would meaning
*38) The words used in the Text are: hatta tash-hu-dun (unless you are present, or unless you bear witness). That is: "1 regard your presence necessary when 1 take a decision in important matters, and also that whatever decision I take you should be there to testify that it is right and correct." This shows that though the system of government among Saba' was kingship, it was not tyrannical; but the ruler of the time decided matters in consultation with the important people in the government.
phonetic Transliteration
Qalat ya ayyuha almalao aftoonee fee amree ma kuntu qatiAAatan amran hatta tashhadoona
English - Sahih International
She said, "O eminent ones, advise me in my affair. I would not decide a matter until you witness [for] me."
Quran Bangla tarjuma
বিলকীস বলল, হে পরিষদবর্গ, আমাকে আমার কাজে পরামর্শ দাও। তোমাদের উপস্থিতি ব্যতিরেকে আমি কোন কাজে সিদ্ধান্ত গ্রহণ করি না।
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