Surah Nisa Ayat 49 Tafseer in Hindi
﴿أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ يُزَكُّونَ أَنفُسَهُم ۚ بَلِ اللَّهُ يُزَكِّي مَن يَشَاءُ وَلَا يُظْلَمُونَ فَتِيلًا﴾
[ النساء: 49]
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जो आप बड़े मुक़द्दस बनते हैं (मगर उससे क्या होता है) बल्कि ख़ुदा जिसे चाहता है मुक़द्दस बनाता है और ज़ुल्म तो किसी पर धागे के बराबर हो ही गा नहीं
Surah An-Nisa Hindi
Surah Nisa Verse 49 translate in arabic
ألم تر إلى الذين يزكون أنفسهم بل الله يزكي من يشاء ولا يظلمون فتيلا
سورة: النساء - آية: ( 49 ) - جزء: ( 5 ) - صفحة: ( 86 )Surah Nisa Ayat 49 meaning in Hindi
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अपने को पूर्ण एवं शिष्ट होने का दावा करते हैं? (कोई यूँ ही शिष्ट नहीं हुआ करता) बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है, पूर्णता एवं शिष्टता प्रदान करता है। और उनके साथ तनिक भी अत्याचार नहीं किया जाता
Quran Urdu translation
کیا تم نے ان لوگوں کو نہیں دیکھا جو اپنے تئیں پاکیزہ کہتے ہیں (نہیں) بلکہ خدا ہی جس کو چاہتا ہے پاکیزہ کرتا ہے اور ان پر دھاگے کے برابر بھی ظلم نہیں ہوگا
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(4:49) Have you not seen those who boast of their righteousness, even though it is Allah Who grants righteousness to whomsoever He wills? They are not wronged even as much as the husk of a date-stone (if they do not receive righteousness).
Have you not seen those who claim themselves to be pure? Rather, meaning
phonetic Transliteration
Alam tara ila allatheena yuzakkoona anfusahum bali Allahu yuzakkee man yashao wala yuthlamoona fateelan
English - Sahih International
Have you not seen those who claim themselves to be pure? Rather, Allah purifies whom He wills, and injustice is not done to them, [even] as much as a thread [inside a date seed].
Quran Bangla tarjuma
তুমি কি তাদেকে দেখনি, যারা নিজেদেরকে পূত-পবিত্র বলে থাকে অথচ পবিত্র করেন আল্লাহ যাকে ইচ্ছা তাকেই? বস্তুতঃ তাদের উপর সুতা পরিমাণ অন্যায়ও হবে না।
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Ayats from Quran in Hindi
- तो (ऐ रसूल) तुम खुदा पर भरोसा रखो बेशक तुम यक़ीनी सरीही हक़ पर हो
- सूरज और चाँद एक मुक़र्रर हिसाब से चल रहे हैं
- (और ऐ रसूल) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी
- तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते
- इसमें किसी तरह का शक नहीं मगर अक्सर लोग (इस पर भी) ईमान नहीं रखते
- ये किताब (क़ुरान) ख़ुदा की तरफ से नाज़िल हुईहै जो ग़ालिब और दाना है
- और हक़ को बातिल के साथ न मिलाओ और हक़ बात को न छिपाओ हालाँकि
- और जिस दिन क़यामत बरपा होगी (उस दिन) गुनेहगार लोग ना उम्मीद होकर रह जाएँगे
- जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब)
- और जो लोग आसमानों में है सब उसी के है और सब उसी के ताबेए
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