Surah Al Qamar Ayat 30 Tafseer in Hindi
﴿فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ﴾
[ القمر: 30]
तो (देखो) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था
Surah Al-Qamar Hindi
Surah Al Qamar Verse 30 translate in arabic
Surah Al Qamar Ayat 30 meaning in Hindi
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
Quran Urdu translation
سو (دیکھ لو کہ) میرا عذاب اور ڈرانا کیسا ہوا
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(54:30) So how awesome were My chastisement and My warnings!
And how [severe] were My punishment and warning. meaning
Ayats from Quran in Hindi
- (ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि
- तुम्हारा माबूद (यक़ीनी) एक ही है
- और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है
- तो इन्सान को देखना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा हुआ हैं
- जिससे तुम डरते हो ख़ुदा उसे ज़रूर ज़ाहिर कर देगा और अगर तुम उनसे पूछो
- और उनसे हिसाब लेना हमारा काम है क्या उन लोगों ने ये बात न देखी
- और जो लोग ख़ुदा पर झूठ मूठ बोहतान बॉधा करते हैं रोजे क़यामत का क्या
- और (ऐ रसूल) इस्माईल और अलयसा और जुलकिफ़ल को (भी) याद करो और (ये) सब
- और खुदा की तरफ उसी के हुक्म से बुलाने वाला और (ईमान व हिदायत का)
- फिर इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उन लोगों को जिन्होने मुसीबत में मुब्तिला होने
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