Surah Zukhruf Ayat 39 Tafseer in Hindi
﴿وَلَن يَنفَعَكُمُ الْيَوْمَ إِذ ظَّلَمْتُمْ أَنَّكُمْ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ﴾
[ الزخرف: 39]
और जब तुम नाफरमानियाँ कर चुके तो (शयातीन के साथ) तुम्हारा अज़ाब में शरीक होना भी आज तुमको (अज़ाब की कमी में) कोई फायदा नहीं पहुँचा सकता
Surah Az-Zukhruf Hindi
Surah Zukhruf Verse 39 translate in arabic
ولن ينفعكم اليوم إذ ظلمتم أنكم في العذاب مشتركون
سورة: الزخرف - آية: ( 39 ) - جزء: ( 25 ) - صفحة: ( 492 )Surah Zukhruf Ayat 39 meaning in Hindi
और जबकि तुम ज़ालिम ठहरे तो आज यह बात तुम्हें कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी कि यातना में तुम एक-दूसरे के साझी हो
Quran Urdu translation
اور جب تم ظلم کرتے رہے تو آج تمہیں یہ بات فائدہ نہیں دے سکتی کہ تم (سب) عذاب میں شریک ہو
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(43:39) (He will then be told): 'Today it will not benefit you the least that after your wrong-doing you and your satans now share the chastisement.' *35
And never will it benefit you that Day, when you have wronged, meaning
*35) That is, "In this there is no aspect of consolation for you that the one who misguided you is being punished, for you also are receiving the same punishment for accepting and following the deviation. "
phonetic Transliteration
Walan yanfaAAakumu alyawma ith thalamtum annakum fee alAAathabi mushtarikoona
English - Sahih International
And never will it benefit you that Day, when you have wronged, that you are [all] sharing in the punishment.
Quran Bangla tarjuma
তোমরা যখন কুফর করছিলে, তখন তোমাদের আজকের আযাবে শরীক হওয়া কোন কাজে আসবে না।
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تفسير | Bengali | Urdu |
Ayats from Quran in Hindi
- और जब तुम नाफरमानियाँ कर चुके तो (शयातीन के साथ) तुम्हारा अज़ाब में शरीक होना
- यक़ीनन ख़ुदा ने जंगे बदर में तुम्हारी मदद की (बावजूद के) तुम (दुश्मन के मुक़ाबले
- (लोगों) मोहम्मद तुम्हारे मर्दों में से (हक़ीक़तन) किसी के बाप नहीं हैं (फिर जैद की
- उसकी शान तो ये है कि जब किसी चीज़ को (पैदा करना) चाहता है तो
- वह वही तो है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को छह: दिन में पैदा किए
- और (इसी तरह) जितने शयातीन (देव) इमारत बनाने वाले और ग़ोता लगाने वाले थे
- तो अनक़ीरब ही मेरा परवरदिगार मुझे वह बाग़ अता फरमाएगा जो तेरे बाग़ से कहीं
- मगर खुदा के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते)
- क्या वह लोग इतना भी न जानते थे कि ख़ुदा (उनके) सारे भेद और उनकी
- तो मेरे अज़ाब और डराने के (पड़े) मज़े चखो
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