Surah Tawbah Ayat 40 Tafseer in Hindi
﴿إِلَّا تَنصُرُوهُ فَقَدْ نَصَرَهُ اللَّهُ إِذْ أَخْرَجَهُ الَّذِينَ كَفَرُوا ثَانِيَ اثْنَيْنِ إِذْ هُمَا فِي الْغَارِ إِذْ يَقُولُ لِصَاحِبِهِ لَا تَحْزَنْ إِنَّ اللَّهَ مَعَنَا ۖ فَأَنزَلَ اللَّهُ سَكِينَتَهُ عَلَيْهِ وَأَيَّدَهُ بِجُنُودٍ لَّمْ تَرَوْهَا وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذِينَ كَفَرُوا السُّفْلَىٰ ۗ وَكَلِمَةُ اللَّهِ هِيَ الْعُلْيَا ۗ وَاللَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ﴾
[ التوبة: 40]
अगर तुम उस रसूल की मदद न करोगे तो (कुछ परवाह् नहीं ख़ुदा मददगार है) उसने तो अपने रसूल की उस वक्त मदद की जब उसकी कुफ्फ़ार (मक्का) ने (घर से) निकल बाहर किया उस वक्त सिर्फ (दो आदमी थे) दूसरे रसूल थे जब वह दोनो ग़ार (सौर) में थे जब अपने साथी को (उसकी गिरिया व ज़ारी (रोने) पर) समझा रहे थे कि घबराओ नहीं ख़ुदा यक़ीनन हमारे साथ है तो ख़ुदा ने उन पर अपनी (तरफ से) तसकीन नाज़िल फरमाई और (फ़रिश्तों के) ऐसे लश्कर से उनकी मदद की जिनको तुम लोगों ने देखा तक नहीं और ख़ुदा ने काफिरों की बात नीची कर दिखाई और ख़ुदा ही का बोल बाला है और ख़ुदा तो ग़ालिब हिकमत वाला है
Surah At-Tawbah Hindi20. यह उस अवसर की चर्चा है जब मक्का के मिश्रणवादियों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वध कर देने का निर्णय किया। उसी रात आप मक्का से निकलकर सौर पर्वत की चोटी के पास स्थित गुफा में तीन दिन तक छिपे रहे। फिर मदीना पहुँचे। उस समय गुफा में केवल आदरणीय अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु आपके साथ थे। 21. ह़दीस में है कि अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहा कि मैं गुफा में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ था। और मैंने मुश्रिकों के पैर देख लिए। और आपसे कहा : यदि इनमें से कोई अपना पैर उठा दे, तो हमें देख लेगा। आपने कहा : उन दो के बारे में तुम्हारा क्या विचार है जिनका तीसरा अल्लाह है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4663)
Surah Tawbah Verse 40 translate in arabic
إلا تنصروه فقد نصره الله إذ أخرجه الذين كفروا ثاني اثنين إذ هما في الغار إذ يقول لصاحبه لا تحزن إن الله معنا فأنـزل الله سكينته عليه وأيده بجنود لم تروها وجعل كلمة الذين كفروا السفلى وكلمة الله هي العليا والله عزيز حكيم
سورة: التوبة - آية: ( 40 ) - جزء: ( 10 ) - صفحة: ( 193 )Surah Tawbah Ayat 40 meaning in Hindi
यदि तुम उसकी सहायता न भी करो तो अल्लाह उसकी सहायता उस समय कर चुका है जब इनकार करनेवालों ने उसे इस स्थिति में निकाला कि वह केवल दो में का दूसरा था, जब वे दोनों गुफ़ा में थे। जबकि वह अपने साथी से कह रहा था, "शोकाकुल न हो। अवश्यमेव अल्लाह हमारे साथ है।" फिर अल्लाह ने उसपर अपनी ओर से सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और उसकी सहायता ऐसी सेनाओं से की जिन्हें तुम देख न सके और इनकार करनेवालों का बोल नीचा कर दिया, बोल तो अल्लाह ही का ऊँचा रहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशील, तत्वदर्शी है
Quran Urdu translation
اگر تم پیغمبر کی مدد نہ کرو گے تو خدا اُن کا مددگار ہے (وہ وقت تم کو یاد ہوگا) جب ان کو کافروں نے گھر سے نکال دیا۔ (اس وقت) دو (ہی ایسے شخص تھے جن) میں (ایک ابوبکرؓ تھے) اور دوسرے (خود رسول الله) جب وہ دونوں غار (ثور) میں تھے اس وقت پیغمبر اپنے رفیق کو تسلی دیتے تھے کہ غم نہ کرو خدا ہمارے ساتھ ہے۔ تو خدا نے ان پر تسکین نازل فرمائی اور ان کو ایسے لشکروں سے مدد دی جو تم کو نظر نہیں آتے تھے اور کافروں کی بات کو پست کر دیا۔ اور بات تو خدا ہی کی بلند ہے۔ اور خدا زبردست (اور) حکمت والا ہے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(9:40) If you do not help your Prophet, (it does not matter): Allah did help him before when the disbelievers forced him to go away from his home, and he was but the second of two: when the two were in the cave; when he was saying to his Companion, "Be not distressed: indeed Allah is with us. " *42 Then Allah sent down peace of mind to him from Himself, and helped him with the forces you did not see, and made the word of the disbelievers abased. And Allah's Word is always supreme, for Allah is All-Mighty, All-Wise.
If you do not aid the Prophet - Allah has already aided meaning
*42) This refers to the occasion when the disbelievers had decided to assassinate the Holy Prophet, and the very night fixed for his assassination he had left Makkah for Al-Madinah. By that time most of the Muslims had migrated to Al-Madinah in twos and threes and only a few helpless ones had remained behind in Makkah. As he was sure that he would be pursued, he took only Hadrat Abu Bakr with him and went southward instead of following the northern route to Al-Madinah and remained hidden in the Thaur Cave for three days. In the meantime the blood thirsty enemies had begun to make a thorough search for him all around Makkah and some of them reached the very mouth of the Cave where he was hidden. On this critical occasion Hadrat Abu Bakr naturally felt alarmed lest they should peep into the Cave, and see them. But the Holy Prophet remained as calm as before and reassured his Companion, saying, "Be not distressed: indeed Allah is with us."
phonetic Transliteration
Illa tansuroohu faqad nasarahu Allahu ith akhrajahu allatheena kafaroo thaniya ithnayni ith huma fee alghari ith yaqoolu lisahibihi la tahzan inna Allaha maAAana faanzala Allahu sakeenatahu AAalayhi waayyadahu bijunoodin lam tarawha wajaAAala kalimata allatheena kafaroo alssufla wakalimatu Allahi hiya alAAulya waAllahu AAazeezun hakeemun
English - Sahih International
If you do not aid the Prophet - Allah has already aided him when those who disbelieved had driven him out [of Makkah] as one of two, when they were in the cave and he said to his companion, "Do not grieve; indeed Allah is with us." And Allah sent down his tranquillity upon him and supported him with angels you did not see and made the word of those who disbelieved the lowest, while the word of Allah - that is the highest. And Allah is Exalted in Might and Wise.
Quran Bangla tarjuma
যদি তোমরা তাকে (রসূলকে) সাহায্য না কর, তবে মনে রেখো, আল্লাহ তার সাহায্য করেছিলেন, যখন তাকে কাফেররা বহিষ্কার করেছিল, তিনি ছিলেন দু’জনের একজন, যখন তারা গুহার মধ্যে ছিলেন। তখন তিনি আপন সঙ্গীকে বললেন বিষন্ন হয়ো না, আল্লাহ আমাদের সাথে আছেন। অতঃপর আল্লাহ তার প্রতি স্বীয় সান্তনা নাযিল করলেন এবং তাঁর সাহায্যে এমন বাহিনী পাঠালেন, যা তোমরা দেখনি। বস্তুতঃ আল্লাহ কাফেরদের মাথা নীচু করে দিলেন আর আল্লাহর কথাই সদা সমুন্নত এবং আল্লাহ পরাক্রমশালী, প্রজ্ঞাময়।
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Ayats from Quran in Hindi
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- फिर इन्हें अनक़रीब ही ज़रूर मालूम हो जाएगा
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