Surah An Nur Ayat 51 Tafseer in Hindi
﴿إِنَّمَا كَانَ قَوْلَ الْمُؤْمِنِينَ إِذَا دُعُوا إِلَى اللَّهِ وَرَسُولِهِ لِيَحْكُمَ بَيْنَهُمْ أَن يَقُولُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۚ وَأُولَٰئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ﴾
[ النور: 51]
ईमानदारों का क़ौल तो बस ये है कि जब उनको ख़ुदा और उसके रसूल के पास बुलाया जाता है ताकि उनके बाहमी झगड़ों का फैसला करो तो कहते हैं कि हमने (हुक्म) सुना और (दिल से) मान लिया और यही लोग (आख़िरत में) कामयाब होने वाले हैं
Surah An-Nur Hindi
Surah An Nur Verse 51 translate in arabic
إنما كان قول المؤمنين إذا دعوا إلى الله ورسوله ليحكم بينهم أن يقولوا سمعنا وأطعنا وأولئك هم المفلحون
سورة: النور - آية: ( 51 ) - جزء: ( 18 ) - صفحة: ( 356 )Surah An Nur Ayat 51 meaning in Hindi
मोमिनों की बात तो बस यह होती है कि जब अल्लाह और उसके रसूल की ओर बुलाए जाएँ, ताकि वह उनके बीच फ़ैसला करे, तो वे कहें, "हमने सुना और आज्ञापालन किया।" और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं
Quran Urdu translation
مومنوں کی تو یہ بات ہے کہ جب خدا اور اس کے رسول کی طرف بلائے جائیں تاکہ وہ ان میں فیصلہ کریں تو کہیں کہ ہم نے (حکم) سن لیا اور مان لیا۔ اور یہی لوگ فلاح پانے والے ہیں
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(24:51) As regards the Believers, when they are called towards Allah and His Messenger so that the Messenger may judge between them, they say, "We have heard and obeyed"; such are the people who attain true success,
The only statement of the [true] believers when they are called to meaning
phonetic Transliteration
Innama kana qawla almumineena itha duAAoo ila Allahi warasoolihi liyahkuma baynahum an yaqooloo samiAAna waataAAna waolaika humu almuflihoona
English - Sahih International
The only statement of the [true] believers when they are called to Allah and His Messenger to judge between them is that they say, "We hear and we obey." And those are the successful.
Quran Bangla tarjuma
মুমিনদের বক্তব্য কেবল এ কথাই যখন তাদের মধ্যে ফয়সালা করার জন্যে আল্লাহ ও তাঁর রসূলের দিকে তাদেরকে আহবান করা হয়, তখন তারা বলেঃ আমরা শুনলাম ও আদেশ মান্য করলাম। তারাই সফলকাম।
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Ayats from Quran in Hindi
- (ऐ रसूल) क्या (कुफ्फ़ारे मक्का भी) कहते हैं कि क़ुरान को उस (तुम) ने गढ़
- पस तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हारा
- और हमने उनको (कोहे तूर) की दाहिनी तरफ़ से आवाज़ दी और हमने उन्हें राज़
- और ख़ुदा के सिवा जिनकी ये लोग इबादत करतें हैं वह तो सिफारिश का भी
- और हमने मूसा पर पहले ही से और दाईयों (के दूध) को हराम कर दिया
- और हमने कितनी बस्तियों को जिनके रहने वाले सरकश थे बरबाद कर दिया और उनके
- और ये कि हममें से कुछ लोग तो नेकोकार हैं और कुछ लोग और तरह
- ऐ रसूल (मुसलमानों से कह दो) जब तुम अपनी बीवियों को तलाक़ दो तो उनकी
- तो क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके
- और इसमें भी शक नहीं कि ये कुरान ईमानदारों के वास्ते अज़सरतापा हिदायत व रहमत
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