Surah Muminun Ayat 67 Tafseer in Hindi
﴿مُسْتَكْبِرِينَ بِهِ سَامِرًا تَهْجُرُونَ﴾
[ المؤمنون: 67]
तो क्या उन लोगों ने (हमारी) बात (कुरान) पर ग़ौर नहीं किया
Surah Al-Muminun Hindi
Surah Muminun Verse 67 translate in arabic
Surah Muminun Ayat 67 meaning in Hindi
हाल यह था कि इसके कारण स्वयं को बड़ा समझते थे, उसे एक कहानी कहनेवाला ठहराकर छोड़ चलते थे
Quran Urdu translation
ان سے سرکشی کرتے، کہانیوں میں مشغول ہوتے اور بیہودہ بکواس کرتے تھے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(23:67) In your arrogance you paid no heed to him, ridiculed him in your meeting places *63 and talked nonsense about him.
In arrogance regarding it, conversing by night, speaking evil. meaning
*63) The meeting places where the people of Makkah gathered together at night to hold consultations, to gossip and tell tales, etc.
Ayats from Quran in Hindi
- (क्यों कि) वह तो यक़ीनन तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है (ख़ुदा ने नर मादा मिलाकर)
- और (क़ौम) आद और फिरऔन और लूत की क़ौम
- ग़रज हमने लूत को और उनके ख़ानदान को बचा लिया मगर उनकी बीवी कि हमने
- जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है
- बेशक जहन्नुम घात में है
- (फिर लड़ाई से जी क्यों चुराते हो) और मोहम्मद तो सिर्फ रसूल हैं (ख़ुदा नहीं)
- और ये कि आदमियों में से कुछ लोग जिन्नात में से बाज़ लोगों की पनाह
- और अगर तुम (अपनी मौत से) मरो या मारे जाओ (आख़िरकार) ख़ुदा ही की तरफ़
- और अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं (आख़िरत का सवाब) जानते होते
- जो लोग ख़ुदा और उसके रसूल से लड़ते भिड़ते हैं (और एहकाम को नहीं मानते)
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