Surah Infitar Ayat 8 Tafseer in Hindi
﴿فِي أَيِّ صُورَةٍ مَّا شَاءَ رَكَّبَكَ﴾
[ الانفطار: 8]
और जिस सूरत में उसने चाहा तेरे जोड़ बन्द मिलाए
Surah Al-Infitar Hindi2. (6-8) भावार्थ यह है कि इनसान की पैदाइश में अल्लाह की शक्ति, दक्षता तथा दया के जो लक्षण हैं, उनके दर्पण में यह बताया गया है कि प्रलय को असंभव न समझो। यह सब व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा अस्तित्व व्यर्थ नहीं है कि मनमानी करो। (देखिए : तर्जुमानुल क़ुरआन, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद) इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जब तुम्हारा अस्तित्व और रूप-रेखा कुछ भी तुम्हारे बस में नहीं, तो फिर जिस शक्ति ने सब किया उसी की शक्ति में प्रलय तथा प्रतिकार के होने को क्यों नहीं मानते?
Surah Infitar Verse 8 translate in arabic
Surah Infitar Ayat 8 meaning in Hindi
जिस रूप में चाहा उसने तुझे जोड़कर तैयार किया
Quran Urdu translation
اور جس صورت میں چاہا تجھے جوڑ دیا
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(82:8) and set you in whatever form He pleased? *4
In whatever form He willed has He assembled you. meaning
*4) That is, "In the first place, the bounty and favour of your Beneficent Sustainer required that you should have acknowledged his bounties and become an obedient servant and should have felt shy of disobeying Him, but you were deluded into thinking that you have become whatever you are by your own effort, and you never thought that you should acknowledge that favour of Him Who gave you life. Secondly, it is your Lord's bounty and kindness that you can freely do whatever you like in the world and it never so happens that whenever you happen to commit an error, He should punish you with paralysis, or blind your eyes, or cause lightning to strike you. But you took His bountifulness for weakness and were beguiled into thinking that the Kingdom of your God was devoid of justice "
Ayats from Quran in Hindi
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- और हमने तुम पर अब्र का साया किया और तुम पर मन व सलवा उतारा
- (ऐ रसूल) ज़रा देखो तो कि हमने बाज़ लोगों को बाज़ पर कैसी फज़ीलत दी
- और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन)
- और जिस शख़्श को उसके परवरदिगार की आयतें याद दिलायी जाएँ और वह उनसे मुँह
- और (हमने) क़ौम आद की तरफ उनके भाई हूद को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होनें
- (लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह)
- जान रखो कि दुनियावी ज़िन्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत (व आसाइश) और
- और ये हमारी (समझाई बुझाई) दलीलें हैं जो हमने इबराहीम को अपनी क़ौम पर (ग़ालिब
- और हमने नूह को उनकी क़ौम के पास (पैग़म्बर बनाकर) भेजा तो वह उनमें पचास
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