Surah Nahl Ayat 120 Tafseer in Hindi
﴿إِنَّ إِبْرَاهِيمَ كَانَ أُمَّةً قَانِتًا لِّلَّهِ حَنِيفًا وَلَمْ يَكُ مِنَ الْمُشْرِكِينَ﴾
[ النحل: 120]
इसमें शक़ नहीं कि इबराहीम (लोगों के) पेशवा ख़ुदा के फरमाबरदार बन्दे और बातिल से कतरा कर चलने वाले थे और मुशरेकीन से हरगिज़ न थे
Surah An-Nahl Hindi57. अर्थात वह अकेले संपूर्ण समुदाय थे। क्योंकि उनके वंश से दो बड़ी उम्मतें बनीं : एक बनी इसराईल, और दूसरी बनी इसमाईल जो बाद में अरब कहलाए। इसका एक दूसरा अर्थ मुखिया भी होता है।
Surah Nahl Verse 120 translate in arabic
إن إبراهيم كان أمة قانتا لله حنيفا ولم يك من المشركين
سورة: النحل - آية: ( 120 ) - جزء: ( 14 ) - صفحة: ( 281 )Surah Nahl Ayat 120 meaning in Hindi
निश्चय ही इबराहीम की स्थिति एक समुदाय की थी। वह अल्लाह का आज्ञाकारी और उसकी ओर एकाग्र था। वह कोई बहुदेववादी न था
Quran Urdu translation
بےشک ابراہیم (لوگوں کے) امام اور خدا کے فرمانبردار تھے۔ جو ایک طرف کے ہو رہے تھے اور مشرکوں میں سے نہ تھے
Tafseer Tafheem-ul-Quran by Syed Abu-al-A'la Maududi
(16:120) The fact is that Abraham was a community in himself : *119 he was obedient to Allah and had turned to Him exclusively. He was never a mushrik.
Indeed, Abraham was a [comprehensive] leader, devoutly obedient to Allah, inclining toward meaning
*119) "Abraham was a community in himself" for at that time he was the only Muslim in the whole world who was upholding the banner of Islam, while the rest of the world was upholding the banner of unbelief. As that servant of Allah performed the Mission which is ordinarily carried out by a whole community, he was not one person but an institution in himself.
phonetic Transliteration
Inna ibraheema kana ommatan qanitan lillahi haneefan walam yaku mina almushrikeena
English - Sahih International
Indeed, Abraham was a [comprehensive] leader, devoutly obedient to Allah, inclining toward truth, and he was not of those who associate others with Allah.
Quran Bangla tarjuma
নিশ্চয় ইব্রাহীম ছিলেন এক সম্প্রদায়ের প্রতীক, সবকিছু থেকে মুখ ফিরিয়ে এক আল্লাহরই অনুগত এবং তিনি শেরককারীদের অন্তর্ভুক্ত ছিলেন না।
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